कॉंग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार नोटबन्दी का जश्न क्यों नही मना रही है? उसने नोटबन्दी की 7वीं सालगिरह पर जश्न का विज्ञापन नहीं छपवाया? इतनी अस्वाभाविक चुप्पी क्यों?
2016 में जब नोटबन्दी हुई तो प्रचलन में नकदी 17 लाख करोड़ रुपये थी, आज नवंबर 2023 नोटबन्दी की 7वीं सालगिरह पर प्रचलन में नकदी 33.78 लाख करोड़ रुपये है।
नवंबर 2016 में काले धन, आतंकी फंडिंग और गंदी नकदी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा एक क्रांतिकारी कदम के रूप में मनाई गई नोटबंदी की आज सातवीं वर्षगांठ है। इस फैसले का नुकसान पूरी अर्थव्यवस्था को चुकाना पड़ा है, बहुतों की मौत और लाखों लोगों की बेरोजगारी, अभी तक MSME सेक्टर सामान्य नहीं हो पाया।