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यह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नहीं है। बेटियों को बचाने के लिए ‘बेटा पढ़ाओ है’। लड़कों को महिला का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने के लिए कहा जाना चाहिए: कर्नाटक उच्च न्यायालय

12 दिसंबर को हुक्केरी तालुक में 42 वर्षीय महिला को इसलिए निर्वस्त्र किया और पीटा गया क्योंकि उसका बेटा, उसी गांव के एक एसटी समुदाय की लड़की के साथ प्रेम में पड़कर घर छोड़ दिया। लड़की और लड़के ने गांव छोड़ दिया। दोनों के भाग जाने के बाद, लड़के की माँ को लड़की के घरवालों ने निर्वस्त्र कर बिजली के खंभे से बांधा और पीटा, उसे प्रताड़ित किया और यौन हिंसा की, 50-60 लोगों की भीड़ मूकदर्शक बनकर देखती रही।

एक टीवी चैनल पर इस घटना के प्रसारित होने के बाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पूरी भीड़ से सिर्फ़ एक व्यक्ति ‘जहांगीर’ निकल कर आया, गांव की सारी भीड़ तमाशा देख रही थी?

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को समाज पर सामूहिक जिम्मेदारी तय करने का आह्वान किया।

“यह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नहीं है। यह ‘बेटा पढ़ाओ’ है, बेटी बचाओ है। जब तक आप लड़के को नहीं बताएंगे, आप इसे हासिल नहीं कर पाएंगे। न्यायधीश प्रसन्ना बी वराले की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट डिवीजन की बेंच ने कहा, लड़कों को महिला का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने के लिए कहा जाना चाहिए।

कर्नाटक सरकार के गृह मंत्री ने महिला के घर जाकर उनको सांत्वना दी, हाईकोर्ट के आदेश से उन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है जो इस जघन्य कृत्य में शामिल हैं। महिला का अस्पताल में इलाज चल रहा है।