किसी फैसले में कमी को दूर करने के लिए विधायिका नया कानून बना सकती है, अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती।
भारत के मुख्य न्यायधीश ने कहा, “विधायिका यह नहीं कह सकती कि हमें लगता है कि फैसला गलत है और इसलिए हम फैसले को खारिज करते हैं। किसी अदालत के फैसले को विधायिका सीधे तौर पर खारिज नहीं कर सकती है।” उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश संवैधानिक नैतिकता से निर्देशित होते हैं, न कि मामलों का फैसला करने से। उन्होंने कहा कि हमने कम से कम 72,000 मामलों का निपटारा किया है और मेरा अभी एक साल और डेढ़ महीना बाकी है।
वे हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोल रहे थे।