पत्नी का अपने पति पर बार-बार देर से घर आने कारण संदेह करना क्रूरता नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
- बोशल
- October 28, 2023
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हिरासत में यातना देने पर पुलिसवालों पर चलेगा मुकद्दमा! केरल हाई कोर्ट ने एक महिला घरेलू सहायिका को हिरासत में यातना देने के आरोपी चार पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ ट्रायल कोर्ट में मुक़दमा चलाने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि हिरासत में अत्याचार को किसी भी सूरत में आधिकारिक कर्तव्यों का हिस्सा नहीं माना जा सकता। पीड़िता ने शिकायत में बताया कि चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए उसे तीन महिला पुलिस कांस्टेबलों द्वारा थाने लाया गया था, जहां उसके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से क्रूर व्यवहार किया गया। आरोपों के अनुसार, पुलिस ने उसे डंडे और छड़ी से पीटा, उसका सिर दीवार पर मारा, गला दबाया और पेट पर लात मारी। मेडिकल जांच में भी महिला के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए। अदालत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “हिरासत में दी गई यातना सभ्य समाज में सबसे घिनौने अपराधों में से एक है। पुलिसकर्मियों को कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता।”
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Elon Musk के Starlink का भारतीय बाज़ार में प्रवेश सुनिश्चित हो गया है। सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध करवाने वाली कंपनी Starlink ने भारत में अपने ऑपरेशन शुरू करने के लिए आवश्यक आख़िरी बाधा भी पार कर ली है। समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक Starlink को भारतीय अंतरिक्ष रेग्युलेटर, IN-SPACe, ने संबंधित लाइसेंस प्रदान कर दिया है।
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आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे सोशल मीडिया पोस्ट/टिप्पणी से जुड़े मामलों में अभियुक्तों को रिमांड पर भेजने से पहले Supreme Court के ‘अर्नेश कुमार बनाम बिहार’ (2014) और ‘इमरान प्रतापगढ़ी बनाम गुजरात राज्य’ मामलों में निर्धारित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। न्यायालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यदि कोई मजिस्ट्रेट इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसे उच्च न्यायालय की अवमानना और विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इमरान प्रतापगढ़ी केस के हवाले से यह भी कहा गया कि ऐसे मामलों में FIR दर्ज करने से पहले DSP स्तर के अधिकारी की अनुमति से प्रारंभिक जांच अनिवार्य है, जो अधिकतम 14 दिनों में पूरी होनी चाहिए। यह कदम सोशल मीडिया से जुड़ी पोस्ट के खिलाफ आपराधिक कानूनों के दुरुपयोग और मनमानी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए लिया गया है।
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पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने आधिकारिक आवास को खाली करने में देरी के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी दो बेटियां, जो विशेष आवश्यकताओं से ग्रस्त हैं, के इलाज और उपयुक्त आवास की तलाश में यह देरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MAHUA) को पत्र लिखकर तत्काल बंगला नंबर 5, कृष्ण मेनन मार्ग को खाली कराने की मांग की है, क्योंकि चंद्रचूड़ का निर्धारित समय 31 मई, 2025 को समाप्त हो चुका है। चंद्रचूड़ ने कहा कि वे कुछ दिनों में आवास खाली कर देंगे।
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