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“…विभिन्न विचारधाराओं का सह-अस्तित्व इस देश की पहचान है”
- बोशल
- November 6, 2023
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तमिलनाडु के एक प्राइवेट CBSE बोर्ड स्कूल की वैन को एक पैसेंजर ट्रेन ने टक्कर मार दी जिससे 3 विद्यार्थियों की मौत हो गई कई अन्य छात्र घायल हो गए हैं, इन छात्रों को कुड्डालोर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक 15 वर्षीय छात्र को JIPMER में भर्ती कराया गया जहां उसे मृत घोषित किया गया। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। यह स्कूल वैन रेलवे क्रॉसिंग को पार करने की कोशिश कर रही थी तभी ट्रेन आ गई। प्रत्यक्ष दर्शियों में कुछ का कहना है कि गेटकीपर सो गया था, और कुछ का कहना है कि स्कूल वैन के ड्राइवर ने उसे गेट बंद करने से मना किया, कहा कि वैन को निकल जाने दे। एक अन्य व्यक्ति 55 वर्षीय अन्नादुरई, जो बच्चों को बचाने के लिए दुर्घटना स्थल पर पहुंचे थे, वे भी उस समय गंभीर रूप से घायल हो गए, जब ऊपर से गुजर रहा बिजली का तार टूटकर उनके ऊपर गिर गया।
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने घोषणा की है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी स्कूल और कॉलेज हॉस्टल अब से ‘सामाजिक न्याय हॉस्टल’ के रूप में जाने जाएंगे। स्टालिन ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार के तहत किसी भी तरह के भेदभाव, चाहे वह लिंग या जाति आधारित हो, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नाम बदलने के अलावा छात्रों के अधिकार, लाभ और अन्य सहायता सुविधाएं पूर्ववत रहेंगी। इससे पहले अप्रैल 2025 में, मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि आधिकारिक रिकॉर्ड और सार्वजनिक उपयोग से ‘कॉलोनी’ शब्द को हटाया जाएगा, क्योंकि यह कुछ समाजिक वर्गों के लिए अपमानजनक हो गया था। हॉस्टल और स्कूलों के नाम बदले जाने की प्रक्रिया जस्टिस चन्द्रू कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है।
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आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे सोशल मीडिया पोस्ट/टिप्पणी से जुड़े मामलों में अभियुक्तों को रिमांड पर भेजने से पहले Supreme Court के ‘अर्नेश कुमार बनाम बिहार’ (2014) और ‘इमरान प्रतापगढ़ी बनाम गुजरात राज्य’ मामलों में निर्धारित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। न्यायालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यदि कोई मजिस्ट्रेट इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसे उच्च न्यायालय की अवमानना और विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इमरान प्रतापगढ़ी केस के हवाले से यह भी कहा गया कि ऐसे मामलों में FIR दर्ज करने से पहले DSP स्तर के अधिकारी की अनुमति से प्रारंभिक जांच अनिवार्य है, जो अधिकतम 14 दिनों में पूरी होनी चाहिए। यह कदम सोशल मीडिया से जुड़ी पोस्ट के खिलाफ आपराधिक कानूनों के दुरुपयोग और मनमानी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए लिया गया है।
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17वीं शताब्दी में आगरा में निर्मित मुगल विरासत स्थल, “मुबारक मंजिल” जिसे ” औरंगजेब की हवेली ” भी कहा जाता था; उसे ध्वस्त कर दिया गया है, जबकि राज्य पुरातत्व विभाग ने 3 महीने पहले इसे संरक्षित करने का आदेश दिया था। मुबारक़ मंजिल का 70% हिस्सा ध्वस्त हो चुका है। ध्वस्तीकरण के बाद वहां 100 ट्रैक्टर ट्रॉली जितना मलबा हो गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ध्वस्तीकरण का कार्य “राजनीतिक संपर्क” रखने वाले आगरा के एक बिल्डर द्वारा किया गया। जब जिला कलेक्टर को इसकी सूचना मिली तो “स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने” के आदेश के अनुसार इसे रोका गया।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उस 7 वर्षीय बच्चे और उसके भाई बहनों का बचाव किया है और आदेश दिया है कि दो सप्ताह के भीतर इन बच्चों का एडमिशन किसी CBSE संबद्ध स्कूल में हो जाना चाहिए अन्यथा DM को कोर्ट के सामने हाजिर होना पड़ेगा। सितंबर 2024 में अमरोहा स्थित एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा इन बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था क्योंकि वे अपने टिफिन में मांसाहारी बिरयानी लेकर आए थे। प्रिंसिपल ने इन बच्चों को ‘धार्मिक कट्टरपंथी’ कहा था, और उनकी परवरिश पर सवाल उठाया था यह भी कहा था कि ये परवरिश ‘मंदिरों को ध्वस्त कर देगी’। एक जांच पैनल बनी जिसमें प्रिंसिपल को क्लीन चिट दे दी गई थी।
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उत्तर प्रदेश, मुरादाबाद के डॉ. अशोक बालाजी ने अपना मकान एक मुस्लिम दंपत्ति जो कि डॉक्टर हैं, उन्हें बेच दिया। परन्तु उस TDI सिटी कॉलोनी के कुछ लोगों ने इस परिवार (डॉ. यूसुफ मलिक और डॉ. इकरा चौधरी) के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। उनका विरोध बढ़ता जा रहा है। वे इस बात को लेकर सड़क पर आ गए हैं और कह रहे हैं कि ये मुस्लिम परिवार यहां पर नहीं रहेंगे। इनकी रजिस्ट्री रद्द की जाए।
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