साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इससे पहले “सनातन धर्म” को खत्म करने के लिए बैठक में भाग लेने वाले सत्तारूढ़ दल के सदस्यों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस की विफलता उनके द्वारा की गई ‘कर्तव्य की उपेक्षा’ है।
अदालत ने कहा कि “इस देश में किसी भी व्यक्ति को विभाजनकारी विचारों को प्रचारित करने और किसी भी विचारधारा को ख़त्म करने के लिए बैठक आयोजित करने का अधिकार नहीं हो सकता है। कई और विभिन्न विचारधाराओं का सह-अस्तित्व इस देश की पहचान है”