उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के चुनाव प्रचार शैली पर सवाल उठाते हुए भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा और अपनी नाराज़गी व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने कर्नाटक चुनाव के पहले बजरंग बली के नाम पर वोट मांगा, अब राम मंदिर के नाम पर वोट? गृह मंत्री द्वारा दिया गया यह चुनावी धार्मिक भाषण कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो रामलला का फ्री में दर्शन करवाएंगे, वोट पाने के लिए ऐसा चुनावी भाषण उचित है क्या?
उन्होंने बहुत गंभीरता से कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगना कहाँ तक उचित है? भवानी की जय, गणपति बप्पा मोरया, शिव की जय, यह सब कहाँ तक उचित है। वोट विकास के नाम पर मांगे जाएं तो बात जायज़ है।
उन्होंने कहा कि यह भारत निर्वाचन आयोग का दोहरा मानक है कि जो गैर भाजपाई हैं उन पर कार्यवाईयाँ होती हैं और जो भाजपा से हैं उनके किये कोई कार्यवायी नहीं। भाजपा वालों के लिए सब माफ़ है।
उन्होंने कहा कि जब उनके पिता ने हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगा था तो उनपर 6 साल का प्रतिबंध लगा था। आज कोई यह नहीं कह सकता कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में हो रहे हैं।