दोनों लड़कियों ने 3 पेज का सुसाइड लेटर लिखकर यह बताने की कोशिश की है कि आश्रम में गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी संबोधित किया है कि जिम्मेदार लोगों (नीरज सिंघल, नीरज के पिता, ताराचंद और एक महिला) को आसाराम जैसी सज़ा दिलाएं, आश्रम में बहुत सी लड़कियां मर जाती हैं क्योंकि उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। अनैतिक गतिविधियों की वजह से लड़कियों के मरने की बात छिपा ली जाती है। आत्महत्या करने वाली ये लड़कियां एक ही माता पिता की संतानें थी। कुछ साल पहले इन्होंने दीक्षा ली, फिर एक समूह जो कि आश्रम के लिए काम करता है, उसके कहने पर अपनी जमीन पर माता पिता भाई की रज़ामन्दी से आश्रम बनवाया और उसमें रहने लगीं। बाद में पता चला कि वह जमीन को नीरज ने (जो कि ब्रह्मकुमारी से जुड़ा है)हड़प ली है। अब उनके हाथ कुछ नहीं लगा। तमाम अन्य प्रताणनाओं से परेशान होकर दोनों ने फांसी लगा ली।