गर्भावस्था के कारण क्लास में अनुपस्थिति किसी भी महिला को परीक्षा देने से नहीं रोक सकती।
राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति नूपुर भाटी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जिसमें बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा को परीक्षा देने से रोक दिया गया था, उस पर बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक आदेशों और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार, गर्भावस्था किसी महिला की शिक्षा और रोजगार में बाधा नहीं बननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि न्यायालय का दृढ़ विश्वास है कि यदि गर्भावस्था के कारण कोई महिला क्लास में उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाती और आप उसको परीक्षा देने से रोक देते हैं तो यह अवैध, मनमाना, अन्यायपूर्ण होगा। यह संविधान के खिलाफ है। यह भारत के संविधान का आदेश है कि आप किसी की शिक्षा पर रोक नहीं लगा सकते क्योंकि उसने गर्भ धारण किया है।