श्रीलंका ने 2022 में अपनी आजादी के बाद पहली बार खुद को दिवालिया घोषित किया था, यह अभी तक के इतिहास में श्रीलंका का सबसे बुरा दौर था। देश का विदेशी मुद्रा भंडार न्यूनतम स्तर पर चला गया था। लोग महंगाई से इतने परेशान हुए कि विद्रोह कर दिया। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका और अन्य 4 समाजसेवियों द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राजपक्षे बंधु( पूर्व राष्ट्रपति, वित्तमंत्री), सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के पूर्व गवर्नर, वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव, इस अव्यवस्था के ज़िम्मेदार हैं। न्यायालय ने सभी अधिकारियों को नागरिक अधिकारों के उल्लंघन का दोषी करार दिया है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार की नीतियों को आर्थिक तंगी और दिवालियेपन का कारण बताया और कहा कि उनके कूप्रबन्धन ने देश को इस हालत में लाकर खड़ा कर दिया।