ऐसी कवायदें तभी शुरू हुईं। सरकार और उनका दल उनके प्रवक्ताओं ने ‘इंडिया’ शब्द बोलना बन्द कर दिया। वे ‘भारत’ बोलने लगे, जबकि संविधान, देश और सभी दल, सरकारी योजनाएं, सार्वजनिक कंपनियां इन दोनों नामों का इस्तेमाल करती रही हैं कभी इस प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ। इसकी प्रतिक्रिया में राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने कहा कि सरकार के अंतर्गत आने वाले संस्थानों के चरित्रों को देखकर हैरान हो गया हूँ। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-1 का क्या करेंगे, जो कहता है ‘इंडिया दैट इज भारत’? इससे भी परहेज है? मनोज झा ने कहा कि इतिहास के तथ्यों से खिलवाड़ किया जा रहा है और देश के नाम के साथ भी खेल किया जा रहा है।
