चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रतिद्वंद्वी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा, कि ‘सर तन से जुदा’ (सिर काटने का संदर्भ) जैसे नारे कांग्रेस शासित राजस्थान में सुने गए’।
सोशल मीडिया में ऐसी प्रचार सामग्री को पसन्द नहीं किया गया। आलोचकों का कहना है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी बातें प्रधानमंत्री के मुख से नहीं निकलनी चाहिए। यह प्रचार का निम्नतम और घृणित रूप है। समाज ऐसी बातों से विभाजित होता है। प्रधानमंत्री प्रचार करते समय भी प्रधानमंत्री ही रहते हैं। इस तरह पद की गरिमा को नष्ट करना उचित ही नहीं बल्कि बहुत ख़तरनाक़ है।
आज ही पत्रकार करन थापर के साथ इंटरव्यू में एक प्रोफेसर और संविधानविद ने कहा कि मोदी ने संविधान के 1000 टुकड़े कर दिए, पर सभी सो रहे हैं। यह संकेत चुनाव आयोग पर भी था। क्योंकि साम्प्रदायिक चुनावी सामग्री पर समय रहते चुनाव आयोग कोई कठोर कदम नहीं उठाता।