BoCial ( बोशल )

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“जेल की सज़ा और पुलिस की मार सहते हुए जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय लोगों के लिए अपना जीवन दे दिया। 1947 के बाद लाखों शरणार्थी पलायन कर रहे थे, भारत उपनिवेशवाद से उभरने के लिए संघर्ष कर रहा था, अकाल था, कोई उद्योग नहीं था, दो कमरों में काम करने वाले मंत्रालय थे, कोई कुशल जनशक्ति नहीं थी, फिर भी नेहरू ने भविष्य के लिए निर्माण किया जिसे हम आज देखते हैं। उनकी सार्वजनिक बोलने की शैली गोपनीय और अंतरंग थी, उन्होंने वही कहा जो उन्होंने महसूस किया क्योंकि लोग उनका परिवार थे। उनके पास रिहर्सल किए गए प्रदर्शन और पीआर स्क्रिप्टेड भाषण कला की कोई क्षमता नहीं थी। वह मूकाभिनय कलाकार नहीं बल्कि राष्ट्रनिर्माता थे। नेहरू हमेशा के लिये हैं, नेहरू के नियम हमेशा राज करते हैं।” : सागरिका घोष (वरिष्ठ पत्रकार)