भारत में जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों की संख्या चरम पर पहुंच गई है।
राजनीतिक हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, बैंकिंग और सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की तत्काल आवश्यकता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे मामलों में जब उन्हें लोन नहीं मिलना चाहिए तब भी उन्हें लोन मिलते हैं।
क्रेडिट सूचना फर्म ट्रांसयूनियन सिबिल के डेटा से पता चलता है कि जिन लोगों के पास वित्तीय साधन हैं और जानबूझकर वे अपना ऋण नहीं चुकाते हैं, उनका बकाया मार्च 2019 से कम से कम 1.2 ट्रिलियन रुपये बढ़ गया है।
भारत में शीर्ष डिफॉल्टरों पर अरबों का बकाया है।