एक साल पहले तक जो लहसुन 40 रुपये किलो के दाम पर बाज़ार में उपलब्ध थी वो आज 250 रुपये किलो के दाम में मिल रही है। कहीं कहीं फुटकर बाज़ार में तो इसका दाम 300 रुपये किलो तक में मिल रही है। प्याज़ के दाम पहले से ही 60 रुपये किलो से नीचे नहीं आ रहे हैं।
सरकार चाहे जितने वाले करे लेकिन लहसून और प्याज़ दोनों में, उपभोक्ताओं को वास्तविक राहत मार्च के बाद ही मिल सकती है, जब दोनों फसलों की रबी की फसल कट जाएगी। लेकिन उस मोर्चे पर भी चिंताएं हैं, विशेषकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में भूजल स्तर में गिरावट के कारण। सतर्क रहते हुए सरकार ने पहले ही लहसुन के निर्यात में मार्च 2024 तक प्रतिबंध गया दिया है।