महिला न्यायिक अधिकारी ने पत्र में कहा कि पिछले डेढ़ साल से वे एक ज़िंदा लाश बन गयी हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है कि उनकी इस शिकायत पर CJI ने संज्ञान लिया है। महिला न्यायिक अधिकारी ने पहले भी याचिका दायर की थी, जो कि न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय, न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ में सुनवाई के लिए गयी थी पर उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। पीठ ने कहा था कि आंतरिक शिकायत समिति के पास मामला विचाराधीन है, जिस पर इलाहाबाद मुख्य न्यायधीश की मंजूरी की प्रतीक्षा है।
महिला न्यायिक अधिकारी के साथ हुई इस दुर्व्यवहार का क्या नतीजा निकलता है? इंतज़ार है कि इस मामले में CJI का क्या रूख़ रहता है? क्या वे न्याय देने की हालत में हैं?