सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को पंजाब के राज्यपाल की निष्क्रियता संबंधी अपने फ़ैसले को पढ़ने की सलाह दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल को पंजाब का फ़ैसला पढ़ने की सलाह दी
- बोशल
- November 25, 2023
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Climate Change : दुनियाभर के 56% मैंग्रोव वनों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। स्विट्ज़रलैंड और अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नए जोखिम सूचकांक (Risk Index) के अनुसार, वर्ष 2100 तक दुनिया के 56% मैंग्रोव वन गंभीर खतरे में आ जाएँगे। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि करीब 34 प्रतिशत सबसे मूल्यवान मैंग्रोव क्षेत्र, जो समुद्री तटों की सुरक्षा, कार्बन भंडारण और मछली पालन जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करते हैं, वे गंभीर और संभवतः अपूरणीय क्षति(Irreversible) का सामना कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को “रीजाइम शिफ्ट” (Regime Shift) कहा है, जिसका अर्थ है कि पारिस्थितिकी तंत्र इतनी गहराई से बदल सकता है कि वह अपनी मौजूदा स्थिति में कभी वापस न लौट पाए। यह स्थायी क्षति समुद्र स्तर में वृद्धि और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बढ़ती तीव्रता के कारण हो सकती है। यह शोध 5 अप्रैल 2025 को Communications Earth & Environment जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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Science : ज्यूरिख और ऑक्सफोर्ड की एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने आंतों में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एक नई और प्रभावशाली रणनीति विकसित की है। इस रणनीति में ओरल वैक्सीनेशन को माइक्रोबायोम-आधारित प्रतिस्पर्धा(microbiome-based competition) के साथ जोड़ा गया है। यह तरीका एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी (antibiotic-resistant) रोगजनकों को खत्म करने और पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता को कम करने में मदद कर सकता है।शोधकर्ताओं ने यह दिखाया कि कैसे टीकाकरण को लाभकारी बैक्टीरिया के साथ जोड़ने से आंतों के संक्रमण को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। टीकाकरण से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हानिकारक बैक्टीरिया को बेहतर तरीके से पहचानकर उन्हें निशाना बना सकती है। साथ ही, लाभकारी बैक्टीरिया को आंतों में स्थापित करके, वे हानिकारक बैक्टीरिया से पोषक तत्वों और जगह के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे आंतों में मौजूद बुरे बैक्टीरिया की जगह अच्छे बैक्टीरिया को स्थान दिया जा सकता है।
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Mughal Monuments Revenue : मुगलों को बदनाम करने वाली BJP की सरकार ने देश के पूर्व मुस्लिम शासकों द्वारा बनाए गए पांच सबसे लोकप्रिय स्मारकों से पिछले पांच सालों में सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। केंद्र सरकार को 2014 के बाद से अकेले ताजमहल और आगरा किले के टिकटों की बिक्री से 700 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। संस्कृति मंत्रालय द्वारा 3 अप्रैल को संसद में आंकड़े प्रस्तुत किए गए जिससे पता चला कि उत्तर प्रदेश में ताजमहल, नई दिल्ली में कुतुब मीनार और लाल किला, महाराष्ट्र में आगरा किला और रबिया दुरानी का मकबरा पर्यटकों के लिए पांच सबसे लोकप्रिय मुगलकालीन स्मारक हैं। 2019-20 से 2023-24 तक की पांच साल की अवधि में, केंद्र सरकार ने इन पांच स्मारकों पर पर्यटकों को टिकटों की बिक्री से 548 करोड़ रुपये कमाए।
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Freedom of expression: राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की एक इंस्टाग्राम पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस ने FIR दर्ज किया, अभियोजन पक्ष के अनुसार इमरान प्रतापगढ़ी ने जामनगर में एक शादी में भाग लेने के बाद, एक वीडियो अपलोड किया, जिसके बैकग्राउंड में कविता चल रही थी, “ऐ खून के प्यासे बात सुनो”। उस FIR को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज हुए कहा कि कविता हिंसा को बढ़ावा नहीं देती बल्कि कविता लोगों को हिंसा का सहारा लेने से बचने और अन्याय का सामना प्यार से करने के लिए प्रोत्साहित करती है। कविता में कहा गया है कि अगर अन्याय के खिलाफ हमारी लड़ाई में हमारे प्रियजनों की मौत हो जाती है, तो हमें उनके शवों को दफनाने में खुशी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही बड़ी संख्या में लोग दूसरे द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को नापसंद करते हों, लेकिन व्यक्ति के विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।
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Suo motu cognizance: सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र द्वारा दिए गए विवादित निर्णय पर सुनवाई शुरू करने का फैसला किया। यह इलाहाबाद का वह निर्णय है जिसमें 11 साल की लड़की के प्राइवेट पार्ट को गलत तरीके से छूने और उसे नग्न करने की कोशिश को अपराध नहीं माना गया था। इस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने सुनने से इनकार कर दिया था पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच द्वारा इसकी सुनवाई शुरू की गई।
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Rohingya Children: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना अंतिम फैसला किया कि बिना किसी भेदभाव के हर बच्चे को शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए, लेकिन पहले रोहिंग्या परिवारों के निवास की स्थिति का पता लगाना आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि रोहिंग्या बच्चे स्कूल से संपर्क करें। स्कूल उनका ऐडमिशन करें, एक बार स्कूल में ऐडमिशन हो जाएगा तो वे सरकारी लाभों को भी पाने के हकदार हो जाएंगे। यदि स्कूल उनकी बात नहीं मानते हैं तो वे दिल्ली उच्च न्यायालय से सम्पर्क करें।
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