दिल्ली स्थित थिंक टैंक, कौंसिल फॉर एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर(CEEW) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, विकसित देश पेरिस समझौते में की गई अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर पायेंगे. CEEW के अनुसार विकसित देश 2030 तक अपनी प्रतिबद्धता(वादे) से 38% अधिक कार्बन का उत्सर्जन कर रहे होंगे. यदि ऐसा होता है तो यह जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक झटका साबित होगा क्योंकि वर्तमान में विकसित देश मिलकर पूरी दुनिया का 75% कार्बन उत्सर्जित कर रहे हैं.
विकसित देश 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन के गोल को पूरा नहीं कर पायेंगे: रिपोर्ट
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