शेख़ हसीना को बड़ी निराशा हुई। उनके पास प्रगतिशील राजनीति को आगे ले जाने का अवसर था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वह अधिनायकवादी हो गईं। अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दूर रखने के नाम पर उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल दिया। अब जो हुआ वह अपरिहार्य था। (प्रो.इरफ़ान हबीब ,इतिहासकार)
- बोशल
-
August 5, 2024
- 7517 Views
0 0